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Thursday, September 26, 2013

चेहरे पर न दिखे उम्र का असर

लोग यह मानकर चलते है कि त्वचा में परिवर्तन उम्र बढ़ने की सामान्य प्रक्रिया है। वे यह नहीं जानते कि स्वस्थ जीवन शैली और त्वचा की अच्छी देखभाल के तरीके अपनाकर परिवर्तन की इस प्रक्रिया को कम किया जा सकता है।
कारगर उपाय
इसके लिए कारगर उपाय है एंटी एजिंग ट्रीटमेंट। अगर आप इसे आजमाना चाहती है तो किसी कॉस्मेटिक डर्मेटोलॉजिस्ट से संपर्क करे। पर उनसे कोई भी उपचार करवाने से पहले आप उसके सभी भावी जोखिमों और साइड इफेक्ट को भी जान लें। त्वचा की सबसे ऊपरी परत को एपिडर्मिस कहा जाता है। इस परत में पिग्मेंट बनाने वाली कोशिकाएं होती है, जो त्वचा को उसका रंग देती है। नए एपिडर्मिस सेल का जन्म एपिडर्मिस के बैसल सेल परत में होता है। यह एपिडर्मिस की जीवित परत होती है।
उम्र बढ़ने के लक्षण
1. एपिडर्मिस का पतला होना-एपिडर्मिस के बेसल सेल लेयर सेल बनाने की अपनी रफ्तार कम कर देते है और एपिडर्मिस को पतला कर देते है। इन परिवर्तनों के मिलने से त्वचा में झुर्रियां ज्यादा बनती है।
2. सैगिंग- पुरानी हुई त्वचा इलास्टिन और कोलैजेन कम बनाती है। इससे उसमें झोल पड़ने और उसके लटक जाने की संभावना बन जाती है। उम्रदराज त्वचा पर इस प्रभाव का असर जल्दी और साफ दिखता है।
3. झुर्रियां- इलास्टिन और कोलैजेन कम बनने तथा त्वचा के पतले होने से चेहरे के ज्यादा काम करने वाले हिस्से लाइनों और झुर्रियों के शिकार जल्दी होते है। झुर्रियां वहां उजागर होने लगती है।
4. एज स्पॉट- बाकी बचे पिग्मेंट सेल कुछ क्षेत्रों में बढ़ जाते है। वे एकसाथ रहते है व एज स्पॉट का निर्माण करते है। शरीर के जो हिस्से धूप में ज्यादा समय तक रहते है, उन पर एज स्पॉट खास तौर से जल्दी बनता है।
5. शुष्की- त्वचा की तैलीय ग्रंथियों की प्रक्रिया कमजोर हो जाती है। इससे त्वचा शुष्की का शिकार हो रफ हो जाती है और उसमें खुजली होती है।
6. क्षतिग्रस्त होना- पुरानी पतली त्वचा में रक्त कोशिकाओं के टूट जाने और क्षतिग्रस्त होने की संभावना ज्यादा रहती है। आम बोलचाल की भाषा में इसे ब्रोकन वेसल्स कहा जाता है।
कई दुश्मन भी
त्वचा के कई दुश्मन भी है और वे भी उसकी उम्र बढ़ाने की प्रक्रिया को गति देते है। वे है -
सूर्य : त्वचा के धूप में लगातार रहने से वह समय से पूर्व वृद्ध हो जाती है। इसे फोटो एजिंग के नाम से जाना जाता है। सूर्य से निकलने वाली पराबैगनी किरणें हमारी त्वचा के कोलाजेन और इलास्टिन को तोड़ देती है। यूवी किरणें स्किन पिग्मेंट के उत्पादन के लिए टर्बो चार्ज के रूप में भी काम करती है। इसके परिणामस्वरूप त्वचा पर दाग-धब्बे हो जाते है।
त्वचा रोग विशेषज्ञ कहते है कि उम्र बढ़ने से जुड़ी तकरीबन 90 प्रतिशत समस्या ज्यादा समय तक धूप में रहने से होती है। अगर आप धूप से होने वाले नुकसान का सबूत चाहती है तो सिर्फ अपने चेहरे की त्वचा की तुलना शरीर के किसी ऐसे भाग की त्वचा से कीजिए, जो अकसर धूप में नहीं रहती है।
धूम्रपान : सिगरेट पीने से धूप में रहने से जो नुकसान होता है उसे गति मिल जाती है। त्वचा में झुर्रियां पड़ना और बढ़ जाता है। धूम्रपान से त्वचा पर और भी कई प्रतिकूल प्रभाव पड़ते है, क्योंकि सिगरेट का निकोटिन रक्त कोशिकाओं को संकरा कर देता है और इससे खून त्वचा की ऊपरी परत की छोटी कोशिकाओं तक नहीं पहुंच पाता है। धूम्रपान से कोलाजेन जो इलास्टिन के साथ त्वचा को लचीला और मजबूत बनाकर रखता है, कम बनता है। धूम्रपान से जख्मों के ठीक होने की प्रक्रिया भी धीमी हो जाती है। धूम्रपान करने वाले की पहचान ज्यादा झुर्रियों और हलके ग्रे हो गए कॉम्प्लेक्स से होती है।
प्रदूषण और पर्यावरण: आज हम सभी प्रदूषित माहौल में रह रहे है। इससे हमारी त्वचा पर गंदगी की परत बैठ जाती है। यह हमारे रोमछिद्रों को बंद कर देती है। लगातार सेंट्रली हीटेड व एयरकंडीशन्ड माहौल में रहने से भी समस्याएं हो सकती है। इससे त्वचा शुष्क और डीहाइड्रेट होती रहती है।
तनाव, नींद न आना: हम सभी लोग तनाव के हमले के शिकार होते है और तनाव के आंतरिक संकेतों को दिखाने वाले शरीर के पहले अंगों में त्वचा ही होती है। खुश्की, दाग धब्बे व चिपचिपापन इसके लक्षण होते है। पर्याप्त नींद न आना भी एक कारण है, जब कि सोने से त्वचा को मरम्मत और नई ताजगी पाने में सहायता मिलती है।
त्वचा में कसाव लाने के तरीके
स्वस्थ त्वचा के लिए स्वस्थ व संतुलित आहार जरूरी है। त्वचा को परफ्यूम वाले साबुन, क्लोरीन वाले स्विमिंग पूल और ज्यादा समय तक गर्म शावर में रहने से बचाइए। न्यूट्रल पीएच बैलेंस वाले साबुन या बॉडी वॉश का उपयोग कीजिए। शुष्क त्वचा पर बारीक रेखाएं और झुर्रियां सामने आने की संभावना ज्यादा होती है, अगर आपकी त्वचा शुष्क है तो इसे नियमित रूप से मॉयस्चराइज कीजिए। आवश्यक हो तो चिकित्सीय सलाह लीजिए।
एंटी एजिंग ट्रीटमेंट
इन दिनों हमारे पास कई तरह के एंटी एजिंग ट्रीटमेंट भी उपलब्ध है। पर ये उपचार बगैर जोखिम के नहीं है। इसलिए सभी संभावित जोखिमों, जटिलताओं व उपचार के साइड इफेक्ट को समझने के लिए किसी अनुभवी कॉस्मेटिक सर्जन से संपर्क कीजिए। कॉस्मेटिक डर्मेटोलॉजी के अनुसार कुछ एंटी एजिंग ट्रीटमेंट निम्नलिखित है -
लोशंस
ऐसे सभी क्रीम और लोशन सिर्फ डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर उपलब्ध होते हैं। ऐसी क्रीम के नियमित उपयोग से बारीक लाइनों और त्वचा के असामान्य रंग में कमी आती है।
इंजेक्शन
इसमें ग्राहक के शरीर की दूसरी जगहों से हारवेस्ट किया गया सिंथेटिक कोलाजेन या बॉडी फैट छोटी हाइपोडर्मिक सुई के जरिए झुर्रियों के साथ पाइप किया जा जाता है।
फेशियल पील
इसमें चेहरे पर रसायन लगाए जाते है, ताकि त्वचा की ऊपर की परत जल जाए। इससे झुर्रियां खत्म हो जाती है और नई, जवां दिखने वाली त्वचा ते़जी से बढ़ती है।
बोटोक्स
रिंकल प्रोन एरिया, जैसे आंखों के चारों ओर और भौंह के बीच बोटुलिनियम टॉक्सिस इंजेक्ट किए जाते है। इसका प्रभाव मांसपेशियों को कसता है और त्वचा पर झुर्रियों को रोकता है।
जोखिम
कुछ कॉस्मेटिक सर्जरी इस तरह से डि़जाइन की जाती है कि वे त्वचा पर से उम्र का असर कम कर सकें। इसमें आंखों और चेहरे पर कसाव लाना शामिल है। इसके लिए किसी अनुभवी प्लास्टिक सर्जन से संपर्क कीजिए और सुनिश्चित कीजिए कि आप सर्जरी की सभी संभावित जोखिमों, जटिलताओं और साइड इफेक्ट की समझते है।
यह भी याद रखिए कि सौंदर्य उत्पादों के दावे तो बहुत किए जाते है, पर अभी तक कोई भी उत्पाद ऐसा नहीं है, जो समय की सुई को पीछे कर सके।

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